तीन लोक के स्वरूप में मध्य लोक

मध्य लोक थाली के समान है ऐसा किस विवक्षा से कहा गया है? तथा यहां मृदंग से क्या आशय है… स्पष्ट करें ।

मध्यलोक को तिर्यक लोक कहा जाता है, कारण की इसका आकार तिरछा है। स्वर्ग और नरक पटल(फ्लोर) आकार में हैं, जबकि मध्य लोक ऐसा नहीं है। थाली के समान है अर्थात आड़ा है, और गोल है क्योंकि द्वीप और समुद्र गोलाकार में ही हैं।

मृदंग से आशय भी आकार को लेकर ही है। मृदंग एक वाद्य यंत्र है, इसका आकार लोक के आकार के सदृश है अतः मृदंग आकार कहा जाता है।
Mridangam

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मध्य लोक गोलाकार नहीं है। rectangular hai। एक राजू चोड़ा और सात राजू मोटा।उसके बीच में एक राजू चौड़ी और उतना ही मोटी (Square) tras naali hai .Usme golakaar dweep/ samundra hai.

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