हल्दी कंदमूल है?

क्या हल्दी कंदमूल है?
अगर है तो हम क्यों खाते है?
अगर नही तो क्यों नही?
योग्य कारण बताए।

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गीली हल्दी कंदमूल है, अनंतकाय जीव है उसमें।
सुख जानेके पश्चात उनमेंसे जीव च्यवित हो जाते है, फिर अनंतकाय नही रहते इसलिए उपयोग कर सकते है।
हल्दी पाऊडर, अदरख (सूखने के बाद सुंठ) ये सब उपयोग कर सकते है।

प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, चिकोरी,आलू, शक्करकंद इत्यादि कंदमूल पूर्णतः सूखते नही, अन्तकाय जीव बरकरार रहते है इसलिए हेय है।

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हां हल्दी कंदमूल है। हरी हल्दी जो कि फूल रूप होती है उसमें अनंतकाय जीव होते हैं , उसके सूख जाने पर अनंतकाय जीव खत्म हो जाते हैं फिर उसकी गांठ जो कि ठोस होती है उसको कूट कर पाउडर के रूप में प्रयोग करते हैं। ऐसे ही मूंगफली के ऊपर छिलका होता है मोटा इसलिए उसे गीली ऊबालकर व सुखाकर खा सकते हैं। ऐसे ही अदरक को सुखाकर सोंठ बनती है उसका प्रयोग किया जाता है।

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मतलब कंदमूल की खेती करना पाप नहीं अगर वह सूखकर प्रयोग में आ जाए ??

वरना जैन लोगों को अजैनों के आश्रित रहना पड़ेगा कि अजैन लोग खेती करें और सूख जाने पर जैन उसका प्रयोग करें। अर्थशास्त्र में कहा गया है की “demand has its own supply”, मतलब सूखी हल्दी की डिमांड से हल्दी की खेती का दोष तो लगेगा ही।

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जी बिल्कुल लगेगा, हल्दी और उसके के अलावा जो कुछ भी अनाज वगेरह उपयोग करते है उसकी खेतीका दोष हमे लगता ही है,
हिंदी में पता नही लेकिन गुजराती में उसे “रावरी” कहते है।

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