उत्सर्पिणी काल के विषय में

उत्सर्पिणी काल में जब दु:षमा काल आता है तो शायद उसमें धर्म नहीं होता क्योंकि तीर्थंकर बाद में दु:षमा सुषमा काल में होते हैं। मतलब उत्सर्पिणी काल में अवसर्पिणी काल के comparison में धर्म कम समय के लिए होता होगा (20,000 years कम) ??

और जैसे अवसर्पिणी काल के सुषमा दुषमा (3rd) के अंत में जो 14 कुलकर या मनु होते हैं वह उत्सर्पिणी काल में दु:षमा काल के अंत मे कैसे हो सकते हैं ?

मतलब मनु यह बताते हैं कि कल्पवृक्ष का अंत आ रहा है बच्चों को देख पाना, आशीर्वाद देना, उनके साथ खेलाना, जंगली जानवरों को छोड़ देना - घर पर नहीं पालना, आदि।

उत्सर्पिणी काल में कुलकर का जन्म तो भोगभूमि आने के just पहले होना चाहिए था, पहले आने का क्या फायदा था ?