दया और भिक्षावृति

**दया ही धर्म है **
**भिक्षावृत्ति पाप है **
दान सुपात्र को देना चाहिए

Every day, many beggars comes in my way. Some of them are women with hungry children in their lap, then there are some old men who have nobody left in this world, then there are some handicaps who can directly be seen crawling on the ground. If someone do not have mercy for them even after looking this all , then they are cruel, but do paying five to ten rupees to them increase Bhikshavriti?

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【दान के संदर्भ में विशेष जानकारी - हरिवंशपुराण से】

■ સુપાત્ર દાન :

જે સમ્યગ્દર્શન, સમ્યગ્જ્ઞાન, સમ્યક્ચારિત્ર અને સમ્યક્તપની શુદ્ધિથી પવિત્ર છે તથા શત્રુઓ અને મિત્ર પર મધ્યસ્થભાવ રાખે છે એવા સાધુ ઉત્તમ પાત્ર કહેવાય છે. સંયમાસંયમને ધારણ કરવાવાળા શ્રાવક મધ્યમ પાત્ર છે અને અવિરત સમ્યગ્દ્રષ્ટિ જધન્ય પાત્ર કહેવાય છે.
જે સ્થૂળ હિંસા આદિથી નિવૃત છે પરંતુ મિથ્યાદ્રષ્ટિ, મિથ્યાજ્ઞાન અને મિથ્યાચારિત્રના ધારક છે તેઓ કુપાત્ર કહેવાય છે અને જેઓ સ્થૂળ હિંસા વિગેરેથી પણ નિવૃત્ત નથી તેમને અપાત્ર જાણવા જોઇએ.

  • હરિવંશ પુરાણ - સર્ગ ૭
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शास्त्रों में अपात्र दान को कुभोगभूमि का कारण कहा है। बात रही इनको दानादि देने कि तो गरीब, भूखे लोगों को पैसे देने के जगह उन्हें कपड़े या खाना देना ज़्यादा सही रहेगा। वो पैसे का क्या उपयोग करेंगे ये हमे नहीं पता है (अधिकतर cases में अभक्ष्य-भक्षण व शराब आदि में ही पैसा लगाते हैं)। यदि वो पैसे का दुरुपयोग करेंगे तो पाप हमे भी लगेगा। इसलिए पैसे की जगह कोई ऐसी वस्तु देना जो उनकी ज़रूरत हो तो वो ज़्यादा उत्तम है।
  • यदि वो अकेले हो, तो उनको अपने समय का दान दीजिये।
  • भूखे हो तो भक्ष्य भोजन का दान दीजिये।
  • तन पर कपड़े न हो, तो कपड़ों का दान दीजिये।
  • रहने को जगह न हो, तो आश्रय दान दीजिये।
  • किसी से कर्ज ले रखा हो, तो चुकता कीजिये आदि।

एक बात ध्यान रहे कि ये दान विवेक और करुणापूर्वक ही किये जाते हैं। उसमें भी भूमिकानुसार इस प्रकार के दान के विकल्प आते हैं। जैसे मुनिराजों को ऐसा दान करने का कोई विकल्प नहीं आएगा। इसलिए देने वाले की भूमिका का भी इसप्रकार के दान में अत्यंत महत्वता है।
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यह बात बिल्कुल ठीक है परंतु आजकल स्टेशनों पर देखा गया है कि मांगने वाले भी ढोंग रचते हैं एक किस्सा में बताना चाहूंगा एक बार मेरे पैरंट्स ने एक भूखी महिला को शुद्ध पूड़ी और सब्जी सब्जी खाने को दीं तो एक कौर खाकर मुँह में से झाग निकलना चालू हो गया और उसने पुलिस केस कर दिया।बाद में निकटवर्ती पुलिसकर्मियों ने बताया कि ये ढ़ोंगी हैं जो मुह में दवाई के ज़रिए झाग निकालकर लोगो को लूटते हैं।
इसलिए इन ढोंगीओं के कारण जो सच में जरूरतमंद लोग हैं उन्हें भी शायद दान देना मुश्किल हो गया है तो इस संबंध में क्या करें कृपया समाधान करें।

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जो भीख मांगते है, ज्यादातर अब ये उनकी मजबूरी नही profession है। करुणावश कुछ देने का भाव आए तो सिर्फ ऐसी खानेकी चीज दे जिसे वे बेच न सकें। सचमे कोई शारिरिक वेदना या रोग से पीड़ित मालूम पड़े तब भी NGO को इन्फॉर्म करना चाहिए। यह भी जानने में आया है कि जो महिलाएं गोद मे सोते हुए बच्चे को लेकर भीख मांग रही होती है वे उन बच्चों को अफिन का dose देती है जिससे वे सोते रहे।
दान की दृष्टि से देखे तो इन्हें किया गया दान अपात्र दान है।
और साथ- साथ इनकी वर्तमान पर्याय से धृणा न करके उसे गौण करके वे भी भूले हुए भगवान है ऐसी दृष्टि रखना उचित है।

We can give 20 rupees to banana (kele) vaala, कचोड़ी वाला, etc. to give poor person bananas, etc. by vendor himself/ herself. अब वह केले वाले पर तो झाग का धोंग नहीं कर सकता।

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