सचित्त त्याग संबंधित

प्रश्न -
वस्तुओं को अचित्त क्यों करना चाहिएॽ
उत्तर
संयम दो प्रकार के है

  1. प्राणीसंमय
  2. इन्द्रियसंयम

सचित्त वस्तु को अचित करने के लिए कुछ मात्रा में स्थावर हिंसा तो होती है परंतु इस प्रकिया में जीव वस्तु में शोधन करता है और अचित बनाने के लिए कुछ प्रक्रिया करता है।यह सब करने से जीव रसना इन्द्रिय की आसक्ति कम होती है। मतलब इन्द्रिय का संयम बढ़ता है। त्रस हिंसा भी नही होती।तथा स्वादिष्ट भोजन से कामुकता और प्रमाद बढ़ता है।इन्द्रिय संयमीत जीव देह से आसक्ति नही होने से आत्मानुभव में उत्कृष्ट निमित बनता है।

प्रश्न
वस्तुओं को अचित करने की कौन -कौन सी विधि है ॽ

उत्तर
मूलाचार की गाथा के आधार से

सुखी,पकी, तपायी गई,खटाई, या सेंधा नामक आदि से मिश्रित तथा किसी चाकू या यंत्र आदि से छिन्न भिन्नं की गई वस्तु प्रासुक कही जाती है।

जैसे ककड़ी के ऊपर सेंधा नमक डालने के कुछ समय बाद से अचित हो जाती है

Pt नेमिचंद्र पाटनी जी ने

पानी को छानकर उबालना वह भी अचित में लिया है।
जो खाद्य वस्तु बढ़ न सके और उग भी न सके उसे भी अचित में लिया है।

सेंधा नमक को यंत्र आदि से पीसने से वह अचित हो जाता है।( यह कथन pt. आशाधरजी कहा है।)

पानी को छानकर उसमे लॉन्ग, सोंफ,अनार का छिलका आदि डालकर जिसे उसका रंग स्वाद आदि बदल जाये उसे वह 6 घंटे तक अचित होजाता है।परंतु 6 घंटे बाद यह पानी सड़ जाता है।

परंतु पानी मे शुद्ध सफेद कपड़ा निचोड़ ने से उसकी मर्यादा 6 घंटे की बन जाती है और पानी सड़ता भी नही है।

पानी को थोड़ा कम उबालना वह 6 घंटे तक की मर्यादा वाला हो जाता है।

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