व्यंतर देव संबंधित

अगर किसी के शरीर मे व्यन्तर आदि का प्रवेश हुआ हो या किसी ने काला विद्या से कुछ किया हो उसको निकलने के लिए कोनसे ग्रंथ में से आधार ले सकते है?
उसकी विधि कहाँ पर मिलेगी??

भाईसाहब प्रथम तो यह कि व्यंतरदेवादि किसी को भी हैरान-परेशान नहीं करते।
दूजा यह कि व्यंतरदेवादि शरीर में भी प्रवेश नहीं करते।
तीसरा अगर पापोदय है तो कोई भी उपाय करना निष्फल है।
सार:- किसी तंत्र, मंत्रादि से अगर कुछ होना होता तो आचार्यादि जो जैन धर्म के अचल श्रद्धानी होते हैं उन्हें यह सब प्रयोगादि करने चाहिए व मुनिराज पार्श्वनाथादि को ऐसे उपाय करने चाहिए ताकि उनके संकट दूर हो सकें किन्तु ऐसा नहीं विचारा क्योंकि उन्हें अपने स्वभाव, वस्तु व्यवस्था का ख्याल था। अभाव को समझने का प्रयास करें :- प्राग्भाव, प्रध्वन्साभाव, अत्यंताभाव, अन्योन्याभाव … तत्वज्ञान पाठमाला भाग- १