भोक्तॄत्व से भेद ज्ञान के लिये शास्त्रो के कुछ उद्धरण बताइये

मैं सुख दुख का भोक्ता नहीं हूं… मैं उससे भिन्न ज्ञायक भाव हूं… भोक्ता पने से भेद विज्ञान के लिये अगर किसी के पास शास्त्रिय reference हो तो कृप्या दीजियेगा।

1 Like

श्री मोक्षमार्गप्रकाशक ग्रन्थ , श्री ज्ञानस्वभाव, ज्ञेय स्वभाव। श्री योगसार ग्रंथ , श्री परमात्मप्रकाशक ग्रंथ, श्री समयसार जी…

समयसार की आत्मख्याति टीका में आचार्य अमृतचन्द्र ने गाथाएं १०९-११२ में यह वर्णन आया है जो अटैच्ड है।
इस सन्दर्भ में पुद्गलमय मिथ्यात्वादि भाव जीव के मिथ्यात्व परिणामों से लिए है जो पुद्गलमय अर्थात पुद्गल के लक्ष्य से हुए है

3 Likes