ब्लैक होल और टाइम ट्रावेल?

अभी - अभी ब्लैक होल की तसवीर सामने आई है, इससे टाइम ट्रावेलकी बातें भी जुड़ी है, जैन दर्शन के अनुसार यह क्या है। इसे कैसे समझ जा सकता है !? क्या टाइम ट्रावेल हो सकता है ?
अपने विचार बताए। आधार दे सके तो उत्तम।

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जैन धर्मानुसार ―

  • वर्तमान पर्याय का भूत की पर्याय में अभाव है (प्राग्भाव) और भविष्य पर्याय में भी अभाव है (प्रध्वंशाभाव)। जैन धर्म के अनुसार time travel नाम का कोई भी concept नहीं है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा time travel का concept सिर्फ theoretically दिया गया है, practically नहीं। क्योंकि time-travel की बात आते ही बहुत सारी बाधायें आ जाती हैं जैसे - यदि मैं time-travel करके 200 वर्ष पीछे चला जाता हूँ (जो कि मेरे जन्म से पूर्व का काल है) तो उस पूर्व काल में मेरा अस्तित्व तो नहीं होना चाहिए परंतु time-travel के वजह से मेरा अस्तित्व आ गया जो कि time-travel का सबसे बड़ा paradox है। इसको The Grand-father Paradox भी कहते हैं।
  • या फिर यदि कोई भूतकाल में travel करके अपने दादाजी को मार देता है तो फिर उस व्यक्ति के पिता का भी जन्म नहीं होगा। ऐसा होने पर उस व्यक्ति का भी जन्म नहीं होगा, परंतु फिर दादाजी को मारने वाला व्यक्ति कौन था? इसको Inconsistent Loop Paradox भी कहते हैं।

  • Time-travel से जुड़े इन सब बाधाओं का अंत नहीं है, क्योंकि ऐसा होना संभव ही नहीं है। परंतु इससे क्रमबद्धपर्याय और सर्वज्ञता की अवश्य सिद्धि होती है क्योंकि कोई व्यक्ति यदि time-travel करने का विचार भी करेगा तो भूत-वर्तमान-भविष्य को नियत मानकर ही करेगा। अनियत भविष्य में time-travel तो वैज्ञानिक भी नहीं मानते। यह नियतपना क्रमबद्धपर्याय नहीं तो और क्या है? और यदि किसी ने कहा है कि सर्व पर्याय क्रमबद्ध हैं तो बिना जाने कैसे कहेगा? इसका मतलब उनको जानने वाला कोई सर्वज्ञ भी है, अतः सर्वज्ञ की सिद्धि भी सहज ही हो जाती है।
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@Vishal_Doshi @Aniteshj आपसे निवेदन है कि एक ही चर्चा के लिए 2 अलग thread न बनाये। हो सके तो इस thread को डिलीट करके इधर चर्चा करें।
जिनधर्म में ब्लैक होल विषय के सम्बन्ध में

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भूत भविस्य का वर्तमान में कोई अस्तित्व ही नहीं है, इसलिए हम तो वहाँ नहीं जा सकते, पर ज्ञान अवस्य जा सकता है, ज्ञान भूत भी जान सकता है और भविस्य भी । जैसे हिप्नोटाइज़ करके ज्ञान को भूतकाल में भेजदेना । और अतीत में जाकर किसी को मार देना भी ज्ञान में हो सकता है । जैसे कुछ हैलुसीनेसन पैदा करना ।
टाइम मशीन कुछ ऐसी हो सकती है जिसमे वो व्यक्ति तो वही रहे पर उसका ज्ञान किसी भूत, भविस्य या काल्पनिक प्रसंग में पहुंच जाए और वो वैसा ही अनुभव करे ।
उदहारण -
जीवंधर जी की कथा में एक विद्याधर ने सेठ को विद्या के बल से स्वप्न उतपन्न किया की वे समुद्र में डूब रहे है ।
सुधासागर महाराज को देव ने स्वप्न उत्पन्न किया।
तो ऐसी कोई विद्या अवस्य होती होगी जिससे किसी के ज्ञान में अपने मन अनुसार प्रसंग बना दिए जाए । कुछ वशीकरण के जैसी । हरिवंशपुराण में बसंतसेना ने चारुदत्त जी को मोहनी धूल से वश में किया ऐसी कथा है - जिन चारुदत्त को विषयो में रूचि नहीं थी वे १२ वर्ष तक वेश्या के यहाँ रहे । पद्मपुराण में भी एक मंत्र के साथ बीन बजाने पर सर्व नागो को वश में करने की कथा है (सुग्रीव का पूर्व भव का मंत्री)। पर इन सब विद्याओ के चक्क्रर में हमने भव भव में दुःख पाए है ।

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