नाखून न ही अंग होते हैं और न ही उपांग। किन्तु उपघात नामकर्म में प्रायः नाखून से अपने घात होने का उदाहरण दिया जाता है। जबकि गोम्मटसार कर्मकाण्ड की परिभाषा के तहत उपघात किसी अंग या उपांग के द्वारा ही होता है ―
नीचे दी गयी परघात की परिभाषा भी द्रष्टव्य हैं जहाँ परिभाषा में जब “नख” की बात आयी तो वहाँ फिर परिभाषा में “अंग” शब्द न लिखकर शरीर के अवयव शब्द का प्रयोग किया।
क्या ऐसा हो सकता है कि नख को उपघात अवयव में लिया ही न जाता हो? उचित विवेचना करे।