पंचम काल के १०८ जीव अगले ही भव में मोक्ष जायेंगे?

यदि विजयार्ध पर ही जन्म लेना है तो भरत छेत्र के विजयार्ध पर ही क्यों, विदेह छेत्र के विजयार्ध पर ले लेना, विजयार्ध तो सभी छेत्रों में होते है । और यद्यपि यहाँ के विजयार्ध पर पंचम काल नहीं है परन्तु आयु तो अभी अल्प ही होगी | see the image in -

और यद्यपि ढाई द्वीप में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ से मोक्ष न हो (भोगभूमि, कुभोगभूमि, लवण समुद्र ) परन्तु यह happy path नहीं है, वो तो जैसे किसी देव ने मुनि उठाकर लवण समुद्र में फेक दिए हों और उसी समय मुनि को मोक्ष हो गया हो, तो कहेंगे की मुनि लवण समुद्र से मोक्ष गए । पर happy path तो यही है की आर्यखण्ड से मोक्ष हो, Eg: जैसे इंद्रजीत मेघनाद कुम्ब्करण विभीषण बाली सुग्रीव हनुमान जी, यूँ तो यह सब विद्याधर थे परन्तु मोक्ष तो सभी यहाँ से ही गए, विजयार्ध से नहीं ।

मरते समय ऐसा निदान रखना की मैं पर भव में विद्याधर होउ, यह उचित नहीं इससे तो अच्छा है की मरते समय ऐसा निदान करो की पर भव में मुझे भगवान् के दर्शन हो जाए या पर भव में मैं चरमशरीरी होउ । वैसे भी आर्य होकर भी विद्याधरों जैसी विद्यायें सीखी जा सकती है और यदि विद्याधर होकर भी कोई विद्या सिद्ध नहीं हो तो बहुत दुःख होगा ।

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