मैं ये नहीं कहा रहा कि पंचामृत अभिषेक सही है या गलत या वो आचार्य मूलसंगी थे या कस्ठा संगी ।
लेकिन अगर हम उनकी किताब पढ़ते है तो उसमें छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए।
जैसे पद्मपुराण को आचार्य रविषेण ने संस्कृत में लिखा था , वे मूल्सांगी नहीं माने जाते। पंडित दौलतराम जी (छह ढाला लिखने वाले) ने ढुंढारी भाषा में उसे translate kia,usme पंचामृत का वर्णन को हटाया नहीं ।
Kundkund कहान पारमार्थिक ट्रस्ट वालो ने दौलतराम जी का (translated) पद्मपुराण से panchamrit ka पूरा para graph ही gayab kar dia.
Online book available है , uska page 362 पर।
(Section - 32)
May see photo below for comparison.