तत्वों 7 ही क्यों बताये गए है? क्या इसके पीछे कुछ reason है।
शायद मैने कही ऐसा पड़ा है कि broadway में जीव और अजीव 2 भेद किये जा सकते हैं।
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जी, तत्व सात ही क्यों है ― इसके पीछे के पूरे कारण पंडित श्री टोडरमल जी ने मोक्षमार्ग प्रकाशक के नौवे अधिकार में लिखे हैं, उसका स्वाध्याय वहाँ से करना चाहिए। यदि, उसके बाद भी कुछ शंका हो तो अवश्य पूछें।
Here’s the link -
Moksha Marg Prakash (9) : Tatvarth Saat hi kyun?
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परन्तु एक नया प्रश्न है
वहां “संवर-निर्जरा तो अभावलक्षण सहित है” यह बात आई है।
इनमें मोक्ष को क्यों नहीं लिया गया है। मोक्ष भी तो आश्रव बंध के अभाव के बाद ही होता है।
उस वाक्य में मोक्ष को नहीं लिया गया क्योंकि उसके ऊपर वाले पैराग्राफ में मोक्ष की ही बात चल रही थी। या फिर कहे कि मोक्ष, निर्जरा की पूर्णता का ही तो नाम है (सर्व कर्मों से रहित हो जाना ही मोक्ष है) इसलिए उस वाक्य में अलग से मोक्ष कहना ज़रूरी नहीं था।
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Thankyou