विग्रह गति और अपर्याप्त अवस्था में मन व इन्द्रियों का अभाव होने से, ज्ञान किस निमित्त से होता है?
3 Likes
विग्रहगति में द्रव्य इंद्रियों का अभाव है लेकिन भाविन्द्रीय का सदभाव है। वहां द्रव्य इन्द्रियों के निमित्त से होने वाला स्पर्श, रस आदि ज्ञान नहीं होता।!
(तत्त्वार्थसूत्र page 221 - गुजराती)
IMG_20190328_002622|690x205
2 Likes
कृपया भवेन्द्रीय के संदर्भ में सविस्तार जानकारी दें।
भावेन्द्रिय का स्वरुप
लब्धुपयोगौ भावेन्द्रियम ||18|| - तत्त्वार्थसूत्र
अर्थात लब्धिउपयोग को भावेन्द्रिय कहते है ।
लब्धि - लब्धि का अर्थ प्राप्ति अथवा लाभ होता है। आत्मा के चैतन्यगुण का क्षयोपशमहेतुक विकास लब्धि है ।
उपयोग - चैतन्य के व्यापर को उपयोग कहते है । आत्मा के चैतन्यगुण का क्षयोपशमहेतुक जो विकास है उसके व्यापार को उपयोग कहते है।
लब्धि और उपयोग दोनोको भावेन्द्रिय इसलिए कहते है क्योकि वह द्रव्य पर्याय नहीं है किन्तु, गुण पर्याय है।
3 Likes