द्रव्य वेद की अपेक्षा नपुंसक मनुष्य पंचम गुणस्थान तक जा सकता है।
भाव वेद की अपेक्षा नपुंसक वेद वाला जीव नौंवे गुणस्थान तक जा सकता है और नौंवे गुणस्थान के द्वितिय भाग से जीव अपगतवेदी हो जाता है। नौवें गुणस्थान के प्रथम भाग तक वह जीव वेद सहित रहता है। इस जीव ने अगर क्षपक श्रेणी पर आरोहण किया है तो वह उसी भाव से मोक्ष जाएगा ही।