क्या नपुंसक मनुष्य इस पर्यायमे मोक्ष जा सकता है?

मैंने कहीं पढा था ( याद नही कहाँ ) की नपुंसक मनुष्य मूल रूप में पुरुष देह और स्त्रैण स्वभाव की मुख्यता होती है। मूल देह पुरुष का होने से मोक्ष का पुरुषार्थ करके वही भव में मोक्ष प्राप्त कर सकता है। क्या ऐसा हो सकता है ? किसीको इसके बारेमे जानकारी हो तो बताएं।

नपुंसक मनुष्य इस भव से मोक्ष नहीं जा सकते

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इस बात का कही वर्णन हो ऐसा कोई आधार दे सकते है ?

द्रव्य वेद की अपेक्षा नपुंसक मनुष्य पंचम गुणस्थान तक जा सकता है।

भाव वेद की अपेक्षा नपुंसक वेद वाला जीव नौंवे गुणस्थान तक जा सकता है और नौंवे गुणस्थान के द्वितिय भाग से जीव अपगतवेदी हो जाता है। नौवें गुणस्थान के प्रथम भाग तक वह जीव वेद सहित रहता है। इस जीव ने अगर क्षपक श्रेणी पर आरोहण किया है तो वह उसी भाव से मोक्ष जाएगा ही।

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थोडी और easy language में explain कर सकते हैं क्या। भाव वेद और द्रव्य वेद में क्या अंतर है

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द्रव्य वेद - वर्तमान में बाहर से दिखने वाला शरीर का लिंग ।द्रव्य वेद।
भाव वेद - अंतरंग में जो वेद कर्म का उदय आता है वह भाव वेद है।
• द्रव्य वेद नहीं बदलता है, परंतु भाव वेद बतलता रहता है।
•मोक्ष जाने के लिए द्रव्य वेद अर्थात बाह्य में पुरुष वेद ही चाहिए है। और भाव वेद कुछ भी हो सकता है, जिस भाव वेद का नाश अंत में होता है, उस भाव वेद से मोक्ष होना कहते है, जैसे - अंत में नपुंसक वेद का नाश हुआ है तो उसे नपुंसक भाव वेद और पुरुष द्रव्य वेद से मोक्ष होता है।

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बहोत अच्छे से समझाया… Thank you all

Thankyou:)