अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व, श
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः -2
ये स्वर सिखा कर , व्यंजन बता कर
आगम सिखाया है मां …
गतियों में भटका , विषयों में अटका
भव भव से छुड़ा देना मां …
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
कर्म डराए मुझे जब माता
तब तब याद किया माता
तेरे शब्दों ने मुझे संबोधा
क्यों नहीं ये मां सारी दुनियां तेरी तरह
जबसे पढ़ी है , जब से सुनी है
तेरी ये वाणी मां …
तब से भला हूं, तब से ढला हूं
तेरी ही हूं शरणा …
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
चेतन कहा कभी शुद्धातम कहा
मुझे ऐसे पुकारा था मां
तेरी डगर पे सदा जाना चाहूं मां
अविकारी पद ही मैं पाना चाहूं माँ
सिद्ध बनूंगा बंधन तोड़ूंगा
मुक्ति पद पाना है मां
निज तत्त्व बता दे प्रीति जगा दे
लोरी सुना दे ना मां
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः।
Artist- आत्मार्थी श्रुति जैन