शिव और ऋषभ देव में समानता व अंतर

बहुत लोग मानते हैं की शिव और ऋषभदेव एक ही हैं और उनमे समानता बताते हैं |
पर जैसा की मुझे ज्ञात है की शिव एक रूद्र थे और जो उनका शिवलिंग चिन्ह माना गया है उसकी एक कथा है | तो क्या कही जैन शास्त्रों में इस कथा और शिव का उल्लेख मिलता है ?

2 Likes

जैन शास्त्रों में रुद्र के रूप में ही शिव का उल्लेख मिलता है । ऋषभदेव और शिव की समानता जैन शास्त्रों में नहीं मिलती, वैदिक शास्त्रों में (वेदों में) उपलब्ध होती है ।

5 Likes

आज ही यह प्रश्न मेरे मन मे उठा था।
शिव का कैलाश पर निवास और भगवान ऋषभदेव का कैलाशगिरि से सिद्धालय गमन, शिव का वाहन नंदी- बैल और भगवान ऋषभदेव का चिन्ह भी बैल ऐसी समानताओं की तुलना करके एक माना जाता है
लेकिन, जैन मत के अनुसार यह तुलना संभव ही नही।

2 Likes


यह विषय के सन्दर्भ में इस लेख में कुछ बातें और विस्तार से बताई है

1 Like

I found this answer most useful with respect to this question.
https://qr.ae/TWXNmY

वो कथा आपने कहा सुनी? मैंने भी एक कथा सुन रखी है, एक ब्रह्मचारी जी से, और वे ब्रह्मचारी जी टोडर मल स्मारक से जुड़े थे। मै इसलिए बता रहा हु, क्युकी शायद उन्होंने भी वो कथा वही सुनी हो।

1 Like

मैंने सुना है की उनकी मृत्यु संभोग करते करते हुई थी और वो व्यंतर बन कर गांव वालो को परेशान करने लगे | तब गांव वालों ने उनसे क्षमा मांग कर परेशान न करने का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा की मेरी मृत्यु जिस अवस्था में हुई थी उसी अवस्था में मुझे पूजा |
तबसे जो शिवलिंग देखा जाता है उसकी पूजा की प्रथा चल पड़ी |
क्या अपने भी ये ही सुना है ?

2 Likes

कुछ ऐसा ही।
उनकी बीवी उन्हें सह नहीं पा रही थी। उनकी पहली कई बीवी भी सम्भोग करते मर गयी थी। अपने भाई के कहने पर उनकी बीवी ने उन्हें सम्भोग करते हुए मर दिआ। उनके पास काफी विद्या थी। मरने के बाद उनकी विद्या क्रोदित हो गयी। बाकी का हिस्सा वही है, बस अंतर है की वो बात उनकी विद्या ने करी थी।

even we can relate this to Sanathan Dharam story about the death of his previous wife.

04-03-2019%2022-21-46
Please also check the definition of Rudra.

1 Like

हाँ शायद ऐसा ही कुछ था मुझे exact याद नहीं है |

If you want you can know more about Rudras here: http://arnavk.me.ht/wp-content/uploads/2016/08/Jain-History.pdf

I pressed ctrl+f, but only got 1 shiv there, though there are stories of many rudras.

ये कहानी आराधना कथाकोष में दी हुई है । शायद जो 169 महापुरषो में 11 रूद्र होते है, ये वो वाले रूद्र नहीं है, इनका मात्र नाम ही रूद्र है । चेलना रानी 7 बहन थी, जिनमे प्रथम माता त्रिशला- महावीर भगवान की माता और सबसे छोटी चंदनबाला ।

Read full story : here

1 Like

ज्ञानानंद श्रावकाचार में वर्णन दिया है
रुद्र मुनि का

1 Like
1 Like

Ye katha kaha milti h??

ज्ञानानन्द श्रावकाचार में

1 Like

सिद्ध चक्र मण्डल विधान में शिव को विशेषण/विशेष्य से 100 से अधिक जगह पर सिद्धों के लिए प्रयोग किया गया है।

शिव को रुद्र के रूप में तो हिन्दू भी स्वीकारते ही हैं।

पर यहाँ प्रश्न यह है कि जब उन्हें युग के प्रवर्तक के रूप में स्वीकारा जाता है… तब क्या वे आदिनाथ के समतुल्य हैं?

शिव को हिन्दू मान्यता भी अनेक रूपों में स्वीकारती है। यदि हरिवंश पुराण के अनुसार देखा जाए तो आपका कथन भी उसके कारण सही ही है (और बाकी उत्तर-लेखकों का भी), किन्तु एक ही नाम अनेक महापुरुषों के लिए प्रयोग करने की पुरानी परम्परा रही है।

अब, यह विचारने वाली बात है कि कहाँ, किस रूप में शिव को स्थापित किया जाता है।

शिव के सहस्र नामों का उल्लेख हिन्दू मान्यता में 8 अलग अलग प्रकार से किया गया है। जिसमें सबसे प्राचीन महाभारत के अनुशासन पर्व में दिया गया है, जोकि जैनों द्वारा माने गए सहस्रनाम से बहुत हद तक मिलता जुलता है।

तो, यह शोध का विषय है… संभावनाएँ अपार हैं।

नोट: शिव की चटपटी कथाओं के लिए धर्म-परीक्षा का अवलोकन भी किया जा सकता है।

3 Likes

I wrote wrong there (unable to edit now), शिव जी शलाका पुरुषो वाले रूद्र ही है, क्योंकि रूद्र की उत्पत्ति मुनि और आर्यका के भ्र्स्ट होने से ही होती है । Also came to know that श्री गणेश त्रिलोकमंडल हाथी है, त्रिलोकमंडल हाथी की कथा देशभूषण केवली ने श्री राम के प्रश्न करने पर सुनाई थी, त्रिलोकमंडल हाथी अणुव्रत धारण कर मरण के बाद स्वर्ग गया, उस देश में रहने वाले मनुष्य “ये देव है इसके महात्म से रोगादि नहीं होते है” ऐसा मानकर उसकी मूर्ती बनाकर (श्री गणेश के रूप में) उसकी पूजा करने लगे | (source- पुण्यास्रव कथाकोष pg 41 of pdf)

3 Likes
1 Like