पूज्य गुरुदेवश्री के ज्ञान की निर्मलता

यह प्रश्न मात्र जिज्ञासावश पूछ रहा हूं।
पूज्य गुरुदेवश्री के नैरोबी के प्रवचन में वे कहते है कि (अपनी गति के बारे में ) “मुझे अंदरसे सब प्रत्यक्ष हो चुका है”।
तो क्या प्रखर क्षयोपशम के उपरांत उन्हें जातिस्मरण ज्ञान या अवधिज्ञान की निर्मलता हो यह संभव है ??
अपने विचार बताएं ।

पूर्व भव का जो ज्ञान हुआ उसे हम धारणा की प्रकटता रुप जाति स्मरण कह सकते है ,यह मतिज्ञान के अन्तरगत आयगा ।

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भविष्य के 4 जन्म के बारे में ?

किन गुरुदेव की बात हो रही है?

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Kanjiswami

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I think Avadhi gyan only happens in Muni avastha…please correct me if wrong.

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अवधिज्ञान गृहस्थ अवस्था में भी हो सकता है ,गृहस्थ अवस्था में होने वाला अवधिज्ञान देशावधिज्ञान होता है ।

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Thanks bro.

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@aman_jain My intention is not to hurt anybody. Just a curious mind asking question.

Photo taken from flickr account of Jinswara only.
{https://www.flickr.com/photos/jinswara/43865739445/in/photostream/}


Please check the 12th Swapan of Chakravarti Bharat.

If a Muni cannot have Avadhi Gyaan, how could a Shravak have that?

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आप का जो चित्र दिखाये उसमें अवधि ज्ञान नहीं होने की बात कही वह मुख्यता की अपेक्षा है ।क्योकि कल्की राजा के समय अवधिज्ञानी मुनिराज होने का विधान जिनागम में उपलब्ध है और यह कल्की पंचमकाल में होते है ।

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Nice explanation!

यह चर्चा का निष्कर्ष क्या निकलता है !!??

मेरी तरफ से यह निष्कर्ष निकलता है, की अगर ये बात सत्य है की वो अवधि ज्ञानी थे, और चौथे भव में तीर्थंकर होंगे, तो मै उन तीर्थंकर भगवन को नतमस्तक होकर नमोस्तु करता हु।

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बिलकुल यही उत्तम निष्कर्ष हो सकता है। :pray::pray: