सूर्यकीर्ति तीर्थंकर

बहेन श्री के जातिस्मरण की बात कहा तक सही है। क्या गुरूदेव श्री भावी तिर्थकर होगे। गुरुदेव के कही प्रवचनो मे भी उनके श्रीसुर्यकीती तिर्थकर होने की बात कही। इसका आगम के अनुसार क्या समाधान है? मुझे यह प्रशन यहा नही रखना चाहिए। लेकिन यही कुछ बाते गुरूदेव के प्रति अश्रदा उत्पन्न करती। इसका सम्यक समाधान चाहता हँ।

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मोक्षमार्ग में प्रयोजनभूत (आत्मा) और उसे सम्झाने वाले (देव, शास्त्र, गुरु, ७ तत्त्व, हेय-उपादेय) का तो युक्ति से, अनुमान से, न्यायविवक्षा से, अनुभव आदि से निर्णय करने को कहा है, वहाँ बस शास्त्र में लिखा है, या गुरु ने कहा है, या हम जैन है और ये तो सर्वज्ञ ने ही कहा है- सो मान लिया - ऐसे नहीं चलेगा, यहाँ स्वयं निर्णय होना जरूरी है नहीं तो भाव भासन नहीं होगा ।

पर अन्य बातो का यथार्थ निर्णय नहीं हो सकता, क्योंकि हमारा उतना ज्ञान नहीं है, सो अगर प्रयोजनभूत बातो का यथार्थ निर्णय हो गया हो तो अन्य बातो को सर्वज्ञ का उपदेश जान स्वीकार करने को कहा है।

अब यदि यह निर्णय किया है की गुरु कैसा होता है, तो देखो क्या वे ही लक्षण कहान गुरु और बेहेन श्री में थे या नहीं ? यदि थे तो वे सत्य गुरु हुए, और सत्य गुरु भला झूट क्यों बोलेंगे ? और बोलेंगे तो वे झूठे हुए, तो आपका उन्हें सत्य गुरु मानने का निर्णय सही नहीं हुआ । सो आत्मनुशाशन आदि ग्रंथो से वक्ता का स्वरूप पढ़कर निर्णय करो क्या वे सत्य गुरु थे या नहीं, ख्याति के लिए झूट बोलने पर बहन श्री को भारी बंध होता, सो सत्य गुरु ऐसा नहीं करेंगे ।

These are just my assumptions that can be contradicted.

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ये सिवाय बहन श्री और सर्वज्ञ के अन्य कोई नहीं जान सकता।

विवादित विषय है। उन्हें एक उपकारी पुरुष तक ही सीमित रखा जाए तो ठीक है। इस काल मे सर्वज्ञ का अभाव है, अतः सीधा तो कोई प्रमाण है नहीं। शास्त्र में भी ऐसा कोई वर्णन नहीं है। अतः इस विषय का कम से कम प्रचार होना चाहिए।

गुरुदेव भोले थे। वे बहन श्री के कहे हुए कथन का उल्लेख करते थे। यह सत्य है या असत्य इसका निर्णय हम सभी तो नहीं कर सकते।

एक पत्रिका इस संबंध में बहुत समय पहले प्रकाशित हुई थी, जिसमे अनेकों विद्वानों के इस विषय से संबंधित लेख थे। यदि उपलब्ध हुई तो यहाँ भेजने का प्रयास करूँगा।

यहाँ से आप इसे देख सकते हैं।

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अनुभव जी इस विषय पर में आपसे Facebook पर personally बात करता हू।