आरती करने में जीव हिंसा होती है तो पाप किसे लगता है?

उचित अनुचित का विचार कर तर्क प्रस्तुत करें। जिस भूमिका में जो कार्य जहाँ योग्य हैं वहाँ वह करना उचित है। गुणस्थान के बढ़ने पर जंगल मे जाकर बिना मंदिर जाए भी भगवान का स्मरण योग्य है।
दूसरा ये कि अन्य उदाहरण से मूल सिद्धांत को झुटलाया नहीं जा सकता।

ग्रंथ प्रमाण हेतु आपका आभार।
किन्तु महापुराण में बहुत सी चर्चा विवादित भी है। पद्मपुराण में भी पंचामृत अभिषेक से संबंधित प्रमाण प्राप्त हैं किंतु वे अन्य ग्रंथो से विवादित होते हैं।

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इस वाक्य का आधार क्या है ? किन आचार्यों ने ऐसा करने को कहा है ?

इस लेख को पढ़े, आशा है समाधान होगा।

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Then is the tradition of depositing dhoop during dhoop-dashmi aagam samvat?

We use fire to boil the water for abhishek daily. This I believe happens in every temple. We also use fire to boil water for muni maharaaj ahaar. These actions are for dharma only. Without fire; water or any food material for that matter cannot be purified.

Since these actions also involve hinsa due to use of fire so what is your opinion on the same?

यह समाधान हो सकता है।

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अभी कोरोना वायरस फैल रहा है तो एक महाराज जी कह रहे हैं कि अष्टांगी धूप खेने से और गाय का देसी घी का दीपक जलाने से कीटाणु दूर रहते हैं।

लेकिन इसका छल ग्रहण नहीं करना है।

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देखिए मैं यहां कौन सही कौन गलत है यह नहीं जानता हूं। एक बार को तो पूरे डिस्कशन ने मुझे भी आश्चर्य में डाल दिया। अच्छा डिस्कशन रहा।

मैं बस इतना कहना चाहता हूं की दिया एक प्रतीक मात्र है। जैसे एक छोटा सा दिया बड़े से बड़े अंधकार को नष्ट कर देता है अथवा वह दिया स्वयं के लिए और दूसरों के लिए भी लाभकारी होता है वैसे ही हमारे इस शरीर रूपी अंधकार को हमारे आत्मा रूपी दिया दूर कर सकता है यदि हम उसे पहचाने तो।

जय जिनेंद्र