तेरी वाणी अंतर में | Teri vani antar me

तेरी वाणी अंतर में स्वीकार करते हैं।
ओ प्रभु हम तो सिर्फ तेरा ध्यान धरते हैं।।टेक।।

जो स्वरूप तेरा वो ही मेरा है ।
आठ कर्मों ने आके घेरा है-२।।
तेरे दर्शन से अंतर का भान करते हैं ऽऽऽ ओ प्रभु…।।१।।

तेरी मुद्रा हमें सिखाती है।
वीतरागता से शांति आती है -२ ।।
आनंदामृत हूँ मैं ये ध्यान धरते हैं ऽऽऽ ओ प्रभु…।।२।।।

हर घड़ी हमको दर्श तेरा मिले ।
स्वानुभव रत्नत्रय कलियाँ खिलें -२ ।।
तेरे चरणों में भक्ति से गान करते हैं ऽऽऽ ओ प्रभु…।।३।।