बीच पहाड़ में लगा बाजार
लोग हैं आये कई हजार
मोटर गाड़ी ठेलम ठेला
लगा हुआ है इनका मेला
अम्मा बापू की काकी कक््का
भीड़ भड़क्का धक्कम धक्का
दादी को रहता है खटका
खो न जाए बिस्तर मटका
सुंदर-सुंदर देखे मंदिर
मनहर मूरत उनके अंदर
नंगे पाँव हम चढ़े पहार
वंदन करते बारम्बार
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी