तन देख्या अथिर घिनावना || टेक ||
बाहर चाम चमक दिखलावै, माहीं मैल अपावना |
बालक जवान बुढ़ापा मरना, रोग शोक उपजावना || १ ||
अलख अमूरति नित्य निरंजन, एकरूप निज जानना |
वरन फरस रस गंध न जाकै, पुन्य-पाप बिन मानना || २ ||
करि विवेक उर धारि परीक्षा, भेद-विज्ञान विचारना |
‘बुधजन’ तन तैं ममत मेटना, चिदानंद पद धारना || ३ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी