स्वर्ग से सुन्दर अनुपम | Swarg se sundar anupam

स्वर्ग से सुन्दर अनुपम

स्वर्ग से सुन्दर अनुपम है, ये जिनवर का दरबार ।
श्रद्धा से जो ध्यावे निश्चित होता भव पार ॥
यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ॥ टेक ॥

कभी न टूटे श्रद्धा तुम पर भगवान हमारी।
झुक जायेगी जीवन में प्रतिकूलता सारी ॥
है विश्वास हमारा इक दिन छूटेगा संसार। … यही श्रद्धान ॥1॥

निर्वांछक है भगवन ये आराधना हमारी।
होवे दशा हमारी बस जैसी हुई तुम्हारी ॥
रत्नत्रय का मार्ग चलें और पायें मुक्तिद्वार। …यही श्रद्धान ॥2॥

स्याद्वाद वाणी ही, भ्रम का अज्ञान मिटाये।
निज गुण पर्यायें ही अपना परिवार बताये ॥
न भूलेंगे मुनिराज का यह अनंत उपकार । …यही श्रद्धान॥3॥

लोकालोक झलकते, कैवल्य ज्ञान है पाया।
फिर शुद्धात्मा ही बस उपादेय बतलाया ॥
मानो आज मिला मुझको यह द्वादशांग का सार। … यही श्रद्धान॥4॥