सुन प्राणी जिनवाणी, सफल होय जिंदगानी।
वीतराग की वाणी, श्री सर्वज्ञ बखानी ।।टेक॥
जिनवाणी निजभाव बताये, क्षणभर में सब दुःख मिट जाये।
शुद्धातम की महिमा आये, चिदानंद रसपान कराये।।
मुक्ति होआसानी ||1॥
पर से सुख दुख कभी न आये, निज अज्ञान तुझे भटकाये।
शांति सुधा का स्रोत बहाये, वस्तु स्वरूप का बोध कराये।
करनी है दुखदानी, सुन प्राणी जिनवाणी ॥2॥
संयोगों का नहीं भरोसा, व्यर्थ करेतू राग अरू.दोषा।
निज में ही पाओ संतोषा, व्यर्थ कर्म को तूने पोषा।
दुनिया आनीजानी, सुन प्राणी जिनवाणी ॥3॥