सुमर सदा मन आतमराम | sumar sada mnn atam ram

सुमर सदा मन आतमराम, सुमर सदा मन आतमराम ।।टेक ।।

स्वजन कुटुंबी जन तू पोषै, तिनको होय सदैव गुलाम ।
सो तो हैं स्वारथ के साथी, अंतकाल नहिं आवत काम ।।१ ।।

जिमि मरीचिका में मृग भटकै, परत सो जब ग्रीषम अति घाम ।
तैसे तू भवमाहीं भटकै, धरत न इक छिनहू विसराम ।।२ ।।

करत न ग्लानि अबै भोगन में, धरत न वीतराग परिनाम ।
फिर किमि नरकमाहिं दुख सहसी, जहाँ सुख लेश न आठौं जाम ।।३ ।।

तातैं आकुलता अब तजिकै, थिर ह्वै बैठो अपने धाम ।
`भागचन्द’ वसि ज्ञान नगरमें, तजि रागादिक ठग सब ग्राम ।।४ ।।

Artist : श्री भागचंद जी

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Amazing!

Jo bhee bhajan hain iss website par… unke mp3s ek jagah se download kar sakte hain? tau mein unhe save karke easily sun sakta hun

एक जगह ऑडियो नही हैं। पर जिन भक्ति के ऑडियो हैं उनमें हमने ‘audio’ tag लगाया है। आप उनमे देख सकते हो।

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