सोलह सपनो का फल बतलाओ |Solah swapno ka fal batlao

अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

स्वप्न 1 – ऐरावत हाथी

  1. चन्द्र चाँदनी निशा समय में, मैंने सपना देखा
    शीर्ष गर्जना करते ऐरावत हाथी को पेखा
    इन्द्र ऐरावत हाथी मेरे, मधुर स्वप्न में आया
    उत्कंठा मन मेरे बैठी, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

हाथी - हाथी अत्यंत बलबान, बुद्धिशाली और निडर प्राणी है| प्रिय मरू! अपना पुत्र भी महा पराक्रमी, बुद्धिमान और निडर स्वभाव वाला होगा| उसकी गंभीर दिव्यध्वनि रूपी गर्जना से इस काल में सबसे पहले जीवों को आत्मकल्याण का मार्ग प्राप्त होगा|

[स्वप्न 2 – बैल, पूर्ववत्]

  1. दूजा स्वप्न बैल का देखा, शुक्ल वर्ण से शोभित
    यह गवेन्द्र शुभ सूचक होगा, कंधे जिसके विस्तृत
    ऋषभ जन्म से पहले मेरे, वृषभ स्वप्न में आया
    चित्त हर्ष से लहराता है, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

बैल - वृषभ अर्थात् जो श्रेष्ठों में भी श्रेठ है| हे देवी! हमारा पुत्र भी इस धरती पर श्रेष्ठों के बीच भी श्रेष्ठतम शोभा को प्राप्त होगा| जिस प्रकार बैल अपने कन्धों से सम्पूर्ण भार को उठाता है और अपने स्वामी को निर्भार करता है उसी प्रकार हमारा बेटा भी कर्म भूमि में जीवों को वीतरागता का मार्ग बता कर उन्हें निर्भार करेगा|

[स्वप्न 3 – सिंह, पूर्ववत्]

  1. तीजा सपना मैंने देखा, सिंह अति बलशाली
    यह मृगेन्द्र है श्वेत वर्ण का, स्कंध वर्ण से लाली
    श्वेत वर्ण चाँदनी बिखेरे, संध्या-वर्णी छाया
    कहो कहो हे स्वामी मेरे, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

सिंह - हे देवी! अपना पुत्र पुरुषों में सिंह के सामान होगा| वह शेर के समान राग-द्वेष रूपी पशुओं का नाश करने वाला होगा| वह स्वयं तो निर्भय स्वाभाव वाला होगा ही साथ ही साथ अनंत जीवों को निर्भयता अर्थात् मोक्ष के मार्ग को दिखाने वाला होगा| सफ़ेद सिंह के लाल कंधे सूचना देते हैं कि जिस प्रकार स्वच्छ सफ़ेद अनंत आकाश में लाल रंग का सूर्य अद्भुत शोभा को प्राप्त होता है उसी प्रकार तीनों लोकों में हमारा पुत्र भी अद्भुत शोभा को प्राप्त होगा|

[स्वप्न 4 – लक्ष्मी, पूर्ववत्]

  1. चौथा सपना प्राणनाथ! शोभा अति-सुन्दर प्यारी
    कमलासन पर निश्चल बैठी, लक्ष्मी अति मनहारी
    देवगजेन्द्र नीर को ढोरें, दृश्य चित्त को भाया
    किन्तु स्वामी इस सपने का, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

लक्ष्मी - मैं स्वभाव से भगवान हूँ और पर्याय में भी भगवान बन सकता हूँ ऐसी अलौकिक तत्त्व लक्ष्मी का वह दान करेगा| हे देवी! आपकी कोख से जन्मे पुत्र का सुमेरु पर्वत पर इन्द्रों के द्वारा अभिषेक किया जाएगा| सांसारिक जीवन में वह अपार संपत्ति का दानी होगा एवं पारलौकिक जीवन में वह अनंतचतुष्टय का स्वामी होने के बाद सर्वदुःखनाशिनी अध्यात्म विद्या का महादानी बनेगा|

[स्वप्न 5 – दो मालाएं, पूर्ववत्]

  1. पञ्चम सपना मैंने देखा, सुनें जगत अधिकारी!
    पुन्नाग मालती कुंद से निर्मित, माला अतिशयकारी
    युगलदामिनी सुरभि पाकर, भृंग-वृन्द ललचाया
    सुरभित रोम रोम है मेरा, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

मालायुगल - ‘दाम्ना सद्धर्मतीर्थकृत’ हे प्राणप्रिय! मालाओं को देखने से हमारा पुत्र वीतरागी, अकर्तावादी धर्मतीर्थ का प्रवर्तक होगा| जिस प्रकार माला जीवों के चित्त को हरने वाली होती है उसीप्रकार हमारा पुत्र भी भव्य जीवों के चित्त को हरने वाला होगा| उसके गुणरूपी फूलों की सुगंध तीनों लोकों में फैलेगी| वह न केवल सुरेंद्रों, नरेन्द्रों और मृगेंद्रों से अपितु सम्पूर्ण लोक के जीवों द्वारा पूज्य होगा|

[स्वप्न 6 – चन्द्र, पूर्ववत्]

  1. छटवा सपना चन्द्र का देखा, पूर्व बिम्ब मनहारी
    निशा कामिनी का आभूषण, चन्द्र चांदनी प्यारी
    ताराओं का स्वामी लगता, श्वेत रश्मि फैलाया
    मानो मैंने निज मुख देखा, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

चन्द्र - जिस प्रकार कमल चंद्रमा की किरणों से खिल जाता है उसी प्रकार भव्य जीवों का चित्त भी हमारे पुत्र के उपदेश से आंनंद को प्राप्त होगा| उसकी सौम्य छवि का दर्शन करने मात्र से मुमुक्षु जीवों को समता की प्राप्ति होगी| वह चंद्रमा के सामान अध्यात्म कला सहित समस्त कलाओं में निपुण होगा|

[स्वप्न 7 – सूर्य, पूर्ववत्]

  1. रात्रि प्रहर में सप्तम सपना, सूर्योदय का देखा
    उदयाचल से उदित सूर्य सह तम को छटते पेखा
    मेघ भी जिसको रोक न पाए, अर्क स्वप्न में आया
    स्वर्णमयी कलशों सा दीप्तित, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

सूर्य - प्रिय! जिस प्रकार सूर्य के उदय होते ही अन्धकार का नाश हो जाता है उसी प्रकार इसके निमित्त से मोहरूपी अन्धकार का नाश होगा एवं अध्यात्म प्रकाश से दशों दिशाएँ पुलकित होंगी| जैसे सम्पूर्ण नक्षत्र मण्डल में सूर्य की चमक के समान अन्य किसी भी ग्रह, नक्षत्र अथवा तारे की चमक नहीं है वैसे ही तीनों लोकों में वह अद्वितीय तेज वाला होगा|

[स्वप्न 8 – कलश, पूर्ववत्]

  1. ढका हुआ कमलों से कलशा, युगल अति दीप्तित था
    अष्टम सपना कलश युगल था, मणियों से शोभित था
    पुष्प माल से सज्जित कलशा सपने मेरे आया
    ग्रीवा हार सुशोभित जिसकी, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

कलश - जिस प्रकार कलश में अनेक प्रकार के रत्नों को रखा जाता है उसीप्रकार हे देवी! हमारा पुत्र भी अनंत गुण रूपी रत्नों का स्वामी होगा| इस युग में आत्मानुभूति एवं तत्त्व का मार्ग बताने वाला होगा| वह धर्ममहल के ऊपर सोने के कलश जैसा सुशोभित होगा| भक्तों को भगवान बनने का मार्ग दिखाने वाला होने से सम्पूर्ण भूमण्डल उसकी जय-जयकार से गूँज उठेगा|

[स्वप्न 9 – मीन-युगल, पूर्ववत्]

  1. विकसित कुमुद नीलपंकज से, युक्त सरोवर के भीतर
    प्रेम परस्पर क्रीडा करती, मीन-युगल अति ही सुन्दर
    मानो मैंने स्वयं नयन का, रूप उन्हीं में पाया
    तैर रहे इस मीनयुगल का, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

मीनयुगल - हे वामंगिनी! मीनयुगल इस बात का प्रतीक है कि वह इसलोक में श्रेष्ठ सुख संपत्ति भोगने वाला होगा, चारों दिशाओं में उसकी जय जयकार होगी, सम्यकदर्शन का बल होने से सदैव ही वह प्रसन्न चित्त रहेगा|

[स्वप्न 10 – सरोवर, पूर्ववत्]

  1. दसवा सपना मैंने देखा चित्त शांत हर्षित था
    नील कमल से युक्त सरोवर, मन भी रोमांचित था
    निर्मल जल से व्याप्त सरोवर, गीत खगों ने गाया
    दिव्य सरोवर का है सपना, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

सरोवर - सरोवर समस्त जलाशयों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है| प्रिय मरू! हमारा पुत्र भी इस लोक में निज भगवान आत्मा का अवलंबन लेकर सर्वश्रेष्ठ पद अर्थात् मोक्ष पद को प्राप्त होगा| यह मोक्ष पद ही समस्त पदों में सर्वश्रेष्ठ है| अनुकूल प्रतिकूल समस्त परिस्थितियों में वह सरोवर के सामन समता एवं शांति को धारण करने वाला होगा|

[स्वप्न 11 – समुद्र, पूर्ववत्]

  1. निद्रा के आँचल में स्वामी, स्वप्न एकादश सुन्दर
    अति दीर्घ लहरों से सज्जित, नदिपति अति ही मनहर
    जलकण चरों ओर छलकते, अन्तरिक्ष सी माया
    यह समुद्र गंभीरतिउत्तम, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

समुद्र - जिसप्रकार समुद्र समस्त नदियों को स्वयं में धारण करने की सामर्थ्य वाला होने से नदीपति कहलाता है उसीप्रकार अपने ज्ञान के माध्यम से समस्त लोकों को जानने वाला होने से हमारा पुत्र भी त्रिलोकपति की उपमा से शोभित होगा|
अथवा
जैसे समुद्र में अनंत रत्न उसकी गहराई में पाए जाते हैं वैसे ही अनंत गुण रत्न राशियों से उसका व्यक्तित्व अनंत ज्ञान अर्थात केवलज्ञान स्वभाव वाला होगा| समुद्र के सामान ही वह धर्ममय मर्यादा को धारण करेगा|

[स्वप्न 12 – सिंहासन, पूर्ववत्]

  1. फिर बारहव सपना आया, स्वामी सिंहासन का
    अति उत्तुंग सुवर्ण से निर्मित, मणीSS जडित आसन का
    उसकी शोभा मेरु जैसी, सिंह युक्त थी आभा
    स्वामी कहिये इस सपने का, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

सिंहासन - जिसप्रकार सिंह बल एवं बुद्धिमत्ता से सम्पूर्ण जंगल में राज्य करता है उसीप्रकार हमारा पुत्र भी अपने बल, बुद्धि एवं समर्पण से इस जगत का गुरु होकर साम्राज्य को प्राप्त करेगा| प्रजा में तेज भरने वाले आसन को सिंहासन कहा जाता है, हमारा पुत्र भी भोगभूमि समाप्त होने की निराशा हुए प्रजाजनों को जीवनयापन का मार्ग बताकर तेज भरने वाला होगा|

[स्वप्न 13 – स्वर्ग विमान, पूर्ववत्]

  1. तेरहवे सपने में मैंने, स्वर्ग विमान को देखा
    वह विमान बहुमूल्य श्रेष्ठ रत्नों से अति शोभित था
    पुत्र प्रसूति गृह सम मानो वह उपहार में आया
    चमर विभूषित उस विमान का फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

देव-विमान - हे देवी! देव विमान यह शुभ सूचना देता है कि तुम्हारी कोख में जन्म लेने वाला राजकुमार स्वर्ग से अवतीर्ण होगा| इंद्र, नागेन्द्र, कुबेर आदि सैकड़ों देवता उसकी सेवा में सदा तत्पर होंगें| देव विमान उर्ध्वगति का भी सूचक है, अर्थात् हमारा पुत्र निश्चित ही पंचम गति को प्राप्त होगा|

[स्वप्न 14 – नागभवन, पूर्ववत्]

  1. चौदहवा सपना प्राणेश्वर! नागभवन आकर्षक था
    भूमि भेदकर ऊपर आया और अति उन्नत था
    कल्पवृक्ष निर्मित आकृति थी, कांति युक्त थी काया
    इस नागेद्र भवन का स्वामी, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

नागेन्द्रभवन - हे प्रिय| जैसे भूमि से ऊपर आता हुआ यह नागभावन अत्यंत ही शोभायमान हो रहा है वैसे ही हमारा लघुनंदन भी तुम्हारी कोख से जन्म लेते ही अवधिज्ञान से सहित होगा|

[स्वप्न 15 – रत्न, पूर्ववत्]

  1. पंद्रहवे सपने में प्रियवर!, पञ्चवर्ण महारत्न दिखे
    महारत्न राशि अति-उत्तम, मानो भू भण्डार दिखे
    हीरा सोना नीलम पन्ना, मोती सपने में आया
    रत्नराशि का स्वामी कहिये, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

रत्नराशि - किसी भी क्षेत्र में जो सभी से कुछ विशेष हो वह रत्न है| अहो देवी! हमारा पुत्र भी कर्मभूमि में जीवन एवं मोक्ष का मार्ग बतलाने वाला होने से जन समूह में अद्वितीय प्रतिभा वाला होगा| पंच वर्णीय रत्न यह दर्शाते हैं कि दर्शन और ज्ञान के साथ-साथ वह पंच महाव्रत रूप अखण्ड चारित्र का पालनकर्ता होगा|

[स्वप्न 16 – अग्नि, पूर्ववत्]

  1. अंतिम सपने में राजेश्वर, अग्नि शुभ निर्धूम दिखी
    आभा उत्तम पावक सी थी, ज्वाला अति उत्तुंग उठी
    अष्ट कर्म का विध्वंसक वह, पावक सपने में आया
    अविलंब कहिये हे स्वामी, फल आखिर क्या पाया
    अद्भुत स्वप्नों-SSS का फल बतलाओ स्वामी
    सोलह स्वप्नों-SSS को देखें माँ मरूरानी

निर्धूम अग्नि - धन्य हो देवी धन्य हो| अग्नि सदैव ऊपर की ओर उठती है, हमारा पुत्र भी निर्ग्रन्थता के मार्ग पर चलकर उर्ध्वगामी अर्थात् मोक्षगामी होगा| वह अग्नि के सामन सर्वविकारों को भस्म कर निर्विकार, सहज, निर्मल स्वाभाव को प्राप्त होगा|

Artist: @anubhav_jain

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Who is the writer of this song?

Writer is already tagged. @anubhav_jain Ji is the lyricist and vocalist (for meanings) of this composition.

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Thanks for this thread.

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