(हरिगीत)
संसारी जीवनां भावमरणो टाळवा करुणा करि,
सरिता वहावी सुधा तणी प्रभु वीर! तें संजीवनी;
शोषाती देखी सरितने करुणाभीना हृदये करी,
मुनिकुंद संजीवनी समयप्राभृत तणे भाजन भरी ।
(अनुष्टुप)
कुंदकुंद रच्युं शास्त्र, साथिया अमृते पूर्या,
ग्रंथाधिराज! तारामां भावो ब्रह्मांडना भर्या ।
(शिखरिणी)
अहो! वाणी तारी प्रशमरस-भावे नितरति,
मुमुक्षुने पाती अमृतरस अंजलि भरी भरी;
अनादिनी मूर्छा विष तणी त्वराथी उतरती,
विभावेथी थंभी स्वरूप भणी दोड़े परिणती ।
(शार्दूलविक्रीड़ित)
तूं छे निश्चयग्रंथ भंग सघळा व्यवहारना भेदवा,
तूं प्रज्ञाछीणी ज्ञान ने उदयनी संधि सहु छेदवा;
साथी साधकनो, तूं भानु जगनो, संदेश महावीरनो,
विसामो भवक्लांतना हृदयनो, तुं पंथ मुक्ति तणो ।।
(वसंततिलका)
सूण्ये तने रसनिबंध शिथिल थाय,
जाण्ये तने हृदय ज्ञानी तणां जणांय;
तूं रुचतां जगतनी रुचि आळसे सौ,
तूं रीझतां सकलज्ञायकदेव रीझे ।
(अनुष्टुप)
बनावुं पत्र कुंदननां, रत्नोनां अक्षरों लखी;
तथापि कुंदसूत्रोनां अंकाये मूल्य ना कदि ।
Artist- हिम्मतभाई जेठालाल शाह
[आधार:- करलो जिनवर की पूजन]