श्री पार्श्वनाथ स्तुति | Shri Parshwanath Stuti

हे पार्श्वनाथ भगवन्, चरणों में शीश नावें,
जिनवर समीप आते, अपना स्वरूप पावें ।

निरपेक्ष बन्धु सबके, प्रभु आप ही जगत में ।
अविनाशी सुख साँचा, दर्शाया आप निज में ।।
भवि स्वानुभूति करते, स्वतः एवं तृप्ति पावें ।। जिनवर.

है इन्द्रिय सुख दुखमय, अज्ञान इन्द्रिय ज्ञान ।
अतीन्द्रिय ज्ञान सम्यक्, है सब सुखों की खान ।।
होवें जितेन्द्रिय स्वामी, अतीन्द्रिय रूप ध्यावें । जिनवर.

होवे क्षमा और समता, जीवन की सहचरी मम ।
बस हो विकल्पों से अब, है भावना यही मम ।।
उपयोग नहीं भ्रमित हो, निज में थिर रहावें । जिनवर.

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