2- कुलकर का अपर नाम भी मनु होता है। परंतु यहाँ भगवान ऋषभदेव की स्तुति की गयी है, ऐसा प्रतीत होता है।
महापुराण की अपेक्षा ऋषभ व भरत की गणना भी कुलकरों में करके उनका प्रमाण 16 दर्शाया गया है।
महापुराण/3/232 तस्मान्नाभिराजश्चतुर्दश:। वृषभो भरतेशश्च तीर्थचक्रभृतौ मनू।232।
= चौदहवें कुलकर नाभिराय थे। इनके सिवाय भगवान् ऋषभदेव तीर्थंकर भी थे और मनु भी, तथा भरत चक्रवर्ती भी थे और मनु भी थे।
श्री अरिहंत भगवान की छवि को देखकर हृदय में अनुपम आनंद छाया है।
आपकी पद्मासन में स्थित वीतरागी मुद्रा हमारे लिए हितकारी है, हे मनु! (भगवान ऋषभदेव) आपकी दृष्टि ने नासिका को अग्र करके उत्तम ध्यान को धारण किया हुआ है।
आपकी पद्मासन में स्थित वीतरागी मुद्रा हमारे लिए हितकारी है, नासाग्र पर दृष्टि और ज्ञान (मनु) को अग्र करके आपने ध्यान को महान बढ़ाया है (शुक्ल ध्यान को प्रगट किया है)।
I tried but improvements are welcomed.
अन्य स्थान पर मनु शब्द का प्रयोग-
(यहाँ मनु शब्द का प्रयोग मनुष्य के लिए किया गया है।)