शांति पाठ | Shantipaath

मंगलमय परमेष्ठी, पाँचों शान्ति स्वरूप ।
अर्हंत सिद्धाचार्य प्रभु, पाठक साधु अनूप ॥
मंगलमय जिनमूर्ति है, मंगलमय जिनगेह ।
मंगल जिनवाणी परम, मंगल धर्म सनेह ||
दुखी न हो कोई कभी, सुखी रहें सब जीव ।
परमशान्ति पाएँ प्रभो, ध्यायें तुम्हें सदीव ॥
पूर्ण शान्ति हो विश्व में, सबका हो कल्याण ।
यह भावना है प्रभो, हे नवदेव महान ||

(पुष्पांजलिं क्षिपेत्)

(नौ बार णमोकार मंत्र का जाप कर कायोत्सर्ग करें)

क्षमापना

(चौपाई)

भूलें क्षमा करो भगवान । हम तो सेवक सदा अजान ॥
हमें करो प्रभु सुमति प्रदान । हम भी पाएँ सम्यग्ज्ञान ॥
सुख सम्पत्ति सौभाग्य मिले। हृदय ज्ञान का कमल खिले ॥
शान्ति विधान हुआ सम्पूर्ण । सहज शान्ति पाएँ आपूर्ण ॥

(पुष्पांजलिं क्षिपेत्)

रचयिता: श्री राजमल जी पवैया

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