शान्तिमयी शान्तिमयी, मूरति देखो | shantimayi-2 murat dekho shantimayi

(तर्ज : केशरिया-केशरिया…)

शान्तिमयी शान्तिमयी, मूरति देखो शान्तिमयी। टेक।।

पद्मासन है शान्तिमयी, नासादृष्टि शान्तिमयी।
हाथ पै हाथ है शान्तिमयी ।।1।।

राग नहीं है द्वेष नहीं है, अरे विकारी वेश नहीं है।
सहज दिगम्बर शान्तिमयी।2।।

जिनवर दर्शन सुखकारी, ध्यानमयी प्रभु अविकारी।
ध्येय दिखावें शान्तिमयी।।3।।

अरे भव्य नहीं भटकाओ, शरण में जिनवर की आओ।
पाओ निजपद शान्तिमयी।4।।

शिवपथ का आदर्श अहा, सहज दिगम्बर रूप कहा।
पूजो ध्याओ शान्तिमयी।।5।।

बिन बोले भी बोल रही, परमतत्त्व दर्शाय रही।
मुद्रा प्रभु की शान्तिमयी।6।।

शीश नवाओ भक्ति से, शिवपद साधो भक्ति से।
हो निर्वांछक शान्तिमयी।।7।।

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