सारे जहां से अच्छा, ध्रुवधाम है हमारा | Sare jahan se achcha

सारे जहाँ से अच्छा, ध्रुवधाम है हमारा…

सारे जहाँ से अच्छा, ध्रुवधाम है हमारा… हमारा ।। टेक

ध्रुवधाम से सुखी जो वे ही सुखी हुये हैं।
ध्रुवधाम को भुला के, हम तो दुःखी हुये हैं ।।
ध्रुवधाम तीर्थ ही है तिरने का इक सहारा…सहारा ॥१॥

जितने हुए जिनेश्वर, सबको ये ध्रुव ही भाया।
ध्रुवधाम अचल- अनुपम, दिव्य देशना में गाया ॥
और जो भी होंगे ज्ञानी, सबको यही सहारा… सहारा ||२||

ध्रुवधाम से विमुख जो, पर्याय मूढ़ प्राणी ।
उनकी करुण कथा है, समझाती जैन वाणी ॥
बहती है ज्ञानगंगा, पर प्यासा जग है सारा… सारा ॥ ३ ॥

ध्रुवधाम की समझ बिन, कर्तृत्वबुद्धि आती ।
ध्रुवधाम की खबर बिन, बन जाता आत्मघाती।।
कैसी भी हो समस्या, समाधान है न सारा… सारा ॥४॥

ध्रुवधाम ही शिखरजी, निर्वाण ध्रुव से होगा।
ध्रुवधाम की ही धुन से, दुःखों का अन्त होगा ॥
द्वादशांग का मरम ये, गुरुदेव का इशारा… इशारा ॥५॥

पंचमगति को पाने पंच बालयति निहारो ।
मानस्तंभ दर्श करलो, मानादि को संहारो ॥
ध्रुवधाम तीर्थ आओ, अधिकार है तुम्हारा… तुम्हारा ||६||

हम भी बनेंगे भगवन्, ध्रुव का ही ले सहारा-सहारा।
ध्रुवधाम ही है भजना, गुरुदेवश्री का नारा नारा ॥
सारे जहाँ से अच्छा, ध्रुवधाम है हमारा… हमारा ॥७॥

  • पं. राजेन्द्रकुमार जैन, जबलपुर