सारद ! तुम परसाद तैं | Sarad ! tum parsad taen

सारद ! तुम परसाद तैं, आनंद उर आया |
ज्यौं तिरसातुर जीव कौं, अमृत जल पाया || टेक ||

न्य परमान निखेप तैं, तत्वार्थ बताया |
भाजी भूलि मिथ्यात की, निज निधि दरसाया || १ ||

विधिना मोहि अनादि तैं, चहुंगती भरमाया |
ता हरिवै की विधि सबै, मुझ माहिं बताया || २ ||

गुन अनन्त मति अलप तैं, मोपै जात न गाया |
प्रचुर कृपा लखि रावरी, ‘बुधजन’ हरषाया || ३ ||

Artist : कविवर पं. बुधजन जी