३०. संकल्प ।। (बाल भावना) Sankalp

घर-घर जैन ध्वजा लहरायें – ये ही हमने ठाना है।

दूर भगावें बुरी रीतियाँ – ये ही हमने ठाना है।

मेलमिलाप बढ़ावे हम सब – ये ही हमने ठाना है।

दुःख बटायें नित दुखियों का – ये ही हमने ठाना है।

न्याय नीति से चलें सदा हम – ये ही हमने ठाना है।

ईर्ष्या द्वेष न मन में आये – ये ही हमने ठाना है।

जीर्णोद्धार करें तीर्थों का – ये ही हमने ठाना है।

पढ़ें पढ़ावें नित जिनवाणी – ये ही हमने ठाना है।

सम्यग्दर्शन प्राप्त करेंगे – ये ही हमने ठाना है।

सम्यग्ज्ञान प्रकाश करेंगे – ये ही हमने ठाना है।

समतामय आचरण करेंगे – ये ही हमने ठाना है।

दशलक्षण मय रहे परिणति – ये ही हमने ठाना है।

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’

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