घर-घर जैन ध्वजा लहरायें – ये ही हमने ठाना है।
दूर भगावें बुरी रीतियाँ – ये ही हमने ठाना है।
मेलमिलाप बढ़ावे हम सब – ये ही हमने ठाना है।
दुःख बटायें नित दुखियों का – ये ही हमने ठाना है।
न्याय नीति से चलें सदा हम – ये ही हमने ठाना है।
ईर्ष्या द्वेष न मन में आये – ये ही हमने ठाना है।
जीर्णोद्धार करें तीर्थों का – ये ही हमने ठाना है।
पढ़ें पढ़ावें नित जिनवाणी – ये ही हमने ठाना है।
सम्यग्दर्शन प्राप्त करेंगे – ये ही हमने ठाना है।
सम्यग्ज्ञान प्रकाश करेंगे – ये ही हमने ठाना है।
समतामय आचरण करेंगे – ये ही हमने ठाना है।
दशलक्षण मय रहे परिणति – ये ही हमने ठाना है।
Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’