हम एक हैं…हम एक हैं, संकल्प लें हम एक हैं।
देव हमारे एक हैं, गुरु हमारे एक हैं।
धर्म हमारा एक है, लक्ष्य हमारा एक है।।टेक।।
धर्म हमारा एक है, लक्ष्य हमारा एक है।।टेक।।
अरहंत देव हमारे हैं, निर्ग्रन्थ गुरुवर प्यारे हैं।
माँ हम सबकी है जिनवाणी, धर्म अहिंसा धारे हैं।।१।।
सत्ता सबकी न्यारी-न्यारी, किन्तु स्वरूप समान है।
सर्वोत्तम भगवान आत्मा, गुण अनन्त की खान है।।२।।
द्रव्यदृष्टि से भेद न किंचित्, हमने आज निहारा है।
राग-द्वेष अब नहीं किसी से, परम साम्य सुखकारा है।।३।।
सबका होवे स्वयं परिणमन, कोई न कर्ता हरता है।
अपने-अपने भावों का यह, जीव स्वयं फल भरता है।।४।।
इष्ट-अनिष्ट कहें हम पर को, झूठी मन की वृत्ति है।
करें भेद-विज्ञान स्व-पर का, होवे सुख की सृष्टि है।।५।।
Artist- बाल ब्र. रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’