please thodi saral tarike se batye, without using technical language.
वैराग्य का अनुभव कैसे होता है ?
वैराग्य के दो प्रकार है,
1, आत्मज्ञान सहित वैराग्य
2, अज्ञान दशा मे वैराग्य।
प्रथम जो आत्मज्ञान सहित वैराग्य है वह ज्ञानी को सहज ही होता है, अपने ध्रुव स्वभाव का आश्रय होने से ज्ञानी को जगत से- परद्रव्य से और अपनी पर्याय से सहज ही उदासीनता रहती है।
ये वास्तविक वैराग्य है।
दूसरा अज्ञानी का वैराग्य तत्वनिर्णय के बिना होने से दबा हुआ मंद कषाय है, जो निमित्त मिलने पर फिरसे तीव्र हो जाता है। जिसकी कोई कीमत नही है।
सम्यग्दर्शन - निर्विकल्प स्वानुभूति है,
वैराग्य ज्ञान दशा सहित सहज होता है,
अज्ञान दशा में असहज(बलपूर्वक) होता है।
आशा है, आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
5 Likes