सबसे सुन्दर आत्मा, ज्ञानानंदमय आत्मा | Sabse sundar aatma, gyanandmay aatma

सबसे सुन्दर आत्मा, ज्ञानानंदमय आत्मा।
स्वयं सिद्ध है आत्मा, परमातम है आत्मा।। टेक।।

नहीं मारने की सोचो, कभी न मरने की सोचो।
अनादि अनंत है आत्मा॥1॥

नहीं मरने से दुःख मिटेगा, मोह नाश से क्लेश कटेगा।
पहिचानो निज आत्मा॥2॥

काला-गोग-मोय-पतला, खट्य-मीठा-चिकना-रूखा।
खुशबू-बदबू से भी न्यारा, अमूर्तिक है आत्मा॥3॥

प्रभु जैसा है आत्मा, आराधो शुद्धात्मा।
बन जाओ परमात्मा॥4॥

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: स्वरुप-स्मरण

1 Like