रखता नहीं तन की खबर | Rakhta nahi tan ki khabar

रखता नहीं तन की खबर, अनहद बाजा बाजिया |
घट बीच मण्डल बाजता, बाहिर सुना तो क्या हुआ || टेक ||

जोगी तो जंगम सेवड़ा, बहु लाल कपड़े पहिरता |
उस रंग से महरम नहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआ || १ ||

काजी किताबैं खोलता, नसीहत बतावै और को |
अपना अमल कीन्हा नहीं, कामिल हुआ तो क्या हुआ || २ ||

पोथी के पाना बांचता, घर-घर कथा कहता फिरै |
निज ब्रह्म को चीन्हा नहीं, ब्राह्मण हुआ तो क्या हुआ || ३ ||

गांजा अफीम भांग है, दारु शराब पोशता |
प्याला न पिया प्रेम का, अमली हुआ तो क्या हुआ || ४ ||

शतरंज चोपर गंजफा, बहु खेल खैलैं हैं सभी |
बाजी न खेली प्रेम की, जुआरी हुआ तो क्या हुआ || ५ ||

‘भूधर’ बनाई विनती, श्रोता सुनो सब कान दे |
गुरु का वचन माना नहीं, श्रोता हुआ तो क्या हुआ || ६ ||

Artist : कविवर पं. भूधरदास जी