प्रभु शांत छवि तेरी, अंतर में है समाई।
प्रत्यक्ष देख मूरत, शांति हृदय में छाई ।।टेक।।
शुभ ज्ञान ज्योति जागी, आतम स्वरूप जाना।
प्रत्यक्ष आज देखा, चैतन्य का खजाना ।।
जो दृष्टि पर में भ्रमती, वह लौट निज में आई ।।1।।
अक्षय निधि को पाने, चरणों में प्रभु के आया।
पर प्रभु ने मूक रहकर, मुझको भी प्रभु बताया ।।
अंतर में प्रभुता मेरे, निश्चय प्रतीति आई ।।2।।
हे देव आपको लख, खुद ही हुआ अकामी।
है आस पर की झूठी, मैं पूर्ण निधि का स्वामी ।।
पर्याय हीनता से, मुझमें कमी न आई ।।3।।
मम भाव-अभाव शक्ति, पामरता मेट देगी।
अभाव-भाव शक्ति, प्रभुता विकास देगी ।।
निश्चिंत होय दृष्टि, निज द्रव्य में रमाई ।।4।।
सर्वोत्कृष्ट निज प्रभु, तजकर कहीं न जाऊँ।
जिन, बहुत धक्के खाए, विश्राम निज में पाऊँ ।।
हो नमन कोटिशः प्रभु, शिव सुख डगर बताई ।।5।।
Singer- @Deshna
Singer- @Samay