पौन्नूर वंदना
आओ पौन्नूर पर्वत आओ, कुन्दकुन्द मुनिवर दर्शन पाओ
जिन शासन की महिमा गाओ
आया आया रे अवसर आनंद का…|
कलिकाल सर्वज्ञ मुनी, आये थे इस क्षेत्र
कण-कण खोजूँ चरण रज, धन्य करूँ निज नेत्र ।
मुनिमुद्रा को मन में ध्याओ, अंतरमुख हो अमृत पाओ।
आया आया रे अवसर आनंद का…||
धन्य हुये वे पात्र प्रभु, पड़गाहें निज द्वार।
चरण कमल पवार के, जिनने दिये अहार ।
मंगल वंदनवार सजाओ कुन्दकुन्द मुनिवर को पडगा
आया आया रे अवसर आनंद का…||
खोज रही नजरें मेरी कलम हुई जो धन्य।
निज स्वरूप दर्शावती हर गाथा लिखी धन्य ।
सीमंधर संदेश गुंजाओ, आगम खूब पढ़ो पढ़ाओ ।
आया आया रे अवसर आनंद का…||
धन्य हुई वो देशना, वे स्वर लय अर तान ।
जो गूंजी मुनि कंठ से, सभी जीव भगवान ।
फिर से अमृतधार बहाओ जानो जाननहार जनाओ।
आया आया रे अवसर आनंद का…||
आत्म भावना भावते पाओ केवलज्ञान ।
ज्ञानमयी ज्ञाता लखो, कर अमृत स्नान
कुन्दकुन्द आज्ञा अपनाओ अपना प्रभु अपने में पाओ।
आया आया रे अवसर आनंद का…||
रचनाकार:- पं० राजेन्द्र कुमार जी, जबलपुर