पर्यूषण पर्व | Paryushan Parv

भादों का महीन आता, पर्यूषण पर्व लाता।
मंदिर में आनंद आता, खूब पूजा करते।।
खूब प्रवचन सुनते, खूब भक्ति करते।
शुद्ध भोजन करते, समता शांति धरते।।
संयम को आदरते, बुरी आदतें तजते।
सम्यग्दर्शन करते, रत्नत्रय से सजते।।
बैर भाव को तजते, क्षमा सभी को करते।
तीन बार हैं आते, हमको आनंद देते।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी