परमातम परमातम | Parmatam parmatam

(तर्ज : शुद्धातम-शुद्धातम अनुपम है… )

परमातम परमातम, जय कारण परमातमा
जय कारण परमातम, जय शाश्वत परमातम ॥ टेक॥

पर द्रव्यों से भिन्‍न शुद्ध है, पर भावों से भिन्‍न शुद्ध है।
अद्भुत है शुद्धातम, ध्रुव चिन्मय शुद्धातम ॥ १॥
सकल विश्व का जाननहार, भव्यजनों का तारणहार।
आनंदमय . शुद्धातम, ज्ञायक है शुद्धातम॥ 2॥
'परिणति में भले विभाव रहे, निरपेक्ष सहज स्वभाव रहे।
परमार्थ यही आतम, आदेय यही आतम ॥ 3॥
सम्यग्दर्शन श्रद्धा प्यारी, अनुभवन ज्ञान मंगलकारी।
चारित्र भी शुद्धातम, रलत्रय शुद्धातम ॥ 4॥
साधक है एकदेश आतम, अरु साध्य है सर्व देश आतम।
सर्वस्व है शुद्धातम, अकृत्रिम परमातम॥ 5॥

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: स्वरूप-स्मरण