पधारो पलक झरोखे वीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।
नेत्र मूंदी अंतर अवलोको,
मुद्रा गहन गंभीर। …3…
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।पधारो।।
तन सुधि भूल, वचन भी विसरो,
ढुलके आँसू नीर।…3…
मन आसन को निर्मल करके चरण पखारुं वीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।पधारो।।
अंतर उजियारे में बहती स्वाति पावन सीर,
पुलकित होय अपलक निहारूँ , पीयूं अमरित क्षीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।पधारो।।
कलि मल पंक हटे कब मेरे,
नसे विभावी पीर ,
मैं ही देखूँ , मैं ही जानूँ,
आनंद हये अधीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।पधारो।।
दूरि घटे सब कष्ट मिटे,
यों निकट ही आवे तीर,
तव गुण चिंतन निज गुण बोधि,
कटे कर्म जंजीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।पधारो।।
पधारो पलक झरोखे वीर,
विराजो हृदय कमल पर वीर ।।
Artist - अज्ञात
स्रोत : मैत्री समूह पर भजन
http://www.maitreesamooh.com/index.php?option=com_content&view=article&id=290&Itemid=384