पावन हो गई आज ये धरती, महावीर के नाम से ।
कण-कण से अब गूँज उठेगी, तीर्थेश्वर के नाम से।।टेक।।
छिपा हुआ था गर्भ में, जिसका सुंदर रूप ।
प्रगट हुआ है आज वही, जिसका सत्य स्वरूप ।।
चलो जी चलो ध्वज लहराये, कि सब मिल भक्ति गायें ।
बहेगी जिनशासन की आज यहाँ पर पावन गंगा ।।१।।
पावन हो गई …
स्वर्गपुरी सा सजा हुआ, आज यहाँ ये मंगलधाम ।
नर-नारी भी उमड़ पड़े करने इसे प्रणाम ।।
चलो जी चलो कलश दुरायें, कि चलकर पुण्य कमायें।
करेंगे धन्य ये नर तन को, ये अवसर ऐसा आया ।।२।।
पावन हो गई…
धन्य-धन्य हैं लोग यहाँ के, मंगल गान किया ।
पूज्य गुरु कहान का, सपना साकार किया ।।
चलो जी चलो दर्शन पाये, कि पूजा पाठ रचाये ।
बनेंगे ज्ञानी ध्यानी और बनेंगे वीर जिनन्दा ।।३।।
पावन हो गई…