प्रस्तुत गाथा कौन से ग्रन्थ से है ?
खमामि सव्व जीवाणं सव्वे जीवा खमंतु मे
मित्ति मे सव्वभूएसु वेरं मज्झं ण केण वि
सब जीवों को मैं क्षमा करता हूँ, सब जीव मुझे क्षमा करें । सब जीवों से मेरा मैत्रीभाव है, किसी से बैरभाव नहीं है ।
प्रस्तुत गाथा कौन से ग्रन्थ से है ?
खमामि सव्व जीवाणं सव्वे जीवा खमंतु मे
मित्ति मे सव्वभूएसु वेरं मज्झं ण केण वि
सब जीवों को मैं क्षमा करता हूँ, सब जीव मुझे क्षमा करें । सब जीवों से मेरा मैत्रीभाव है, किसी से बैरभाव नहीं है ।
समणसुत्तं - जिनेन्द्र वर्णी
Credit = pt. Sachinji Manglayatan
Thanks…
As far as I know, समण सुत्तं is a compilation of selected verses from many texts. I will see if I can get the primary reference from there.
It is gatha 86 of saman suttam.