नहिं ऐसो जनम बारम्बार |
कठिन कठिन लह्यो मनुष भव, विषय भजि मतिहार || टेक ||
पाय चिन्तामन रतन शठ, छिपत उदधि मंझार |
अन्धे हाथ बटेर आई, तजत ताहि गंवार || १ ||
कबहुँ नरक तिरयञ्च कबहुँ, कबहुँ सुरग विहार |
जगत माहिं चिरकाल भ्रमियो, दुर्लभ नर अवतार || २ ||
पाय अमृत पांय धोवै, कहत सुगुरु पुकार |
तजो विषय कषाय ‘घानत’, ज्यों लहो भवपार || ३ ||
Artist- पं. घानतराय जी