मुन्नी | Munni(A poem on stealing)

दबे पांव से मुन्नी आई,
लगी चाटने दूध मलाई,
जिससे उसने जीभ जलाई,
ढुला दूध तो जली कलाई ।।
मुन्नी को आ गयी रुलाई,
मम्मी ने जो आहट पाई,
दौड़ के झटपट पहुँची आई,
जल्दी से उसे दवा लगाई ।।
लाल आँख और लाल कलाई,
दस दिन तक फिर दबा लगाई,
चोरी का फल बुरा सदा ही,
मुन्नी ने ये शिक्षा पाई ।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी