मोहे भावे न भैया | Mohe Bhave Naa Bhaiya

मोहे भावे न भैया थारो देश, रहूँगा मैं तो निज-घर में॥

मोहे न भावे यह महल अटारी, झूँ ठी लागे मोहे दुनियाँ सारी;
मोहे भावे नगन सुभेष, रहूँगा मैं तो निज-घर में॥(1)

हमें यहाँ अच्छा नहीं लगता, यहाँ हमारा कोई न दिखता;
मोहे लागे यहाँ परदेश, रहूँगा मैं तो निज-घर में ॥(2)

श्रद्धा ज्ञान चारित्र निवासा, अनन्त गुण परिवार हमारा;
मैं तो जाऊँगा सुख के धाम, रहूँगा मैं तो निज-घर में॥(3)

कब पाऊँगा निज में थिरता, मैं तो इसके लिए तरसता;
मैं तो धारूं दिगम्बर भेष, रहूँगा मैं तो निज-घर में॥(4)

Artist - अज्ञात

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