मिल गयी आत्मा | Mil gyi aatma

नरक में आतम रोता
सुरग में आतम रोता
चारों गति में रोता
मुक्ति में आतम सदा सुखी ।।
कर्म में आतम मिले नहीं,
देह में आतम मिले नहीं,
राग में आतम मिले नहीं,
ज्ञान में आतम मिले सदा।।
कर्म से आतम छूटता,
देह से आतम छूटता,
राग से आतम छूटता,
ज्ञान में आतम रहे सदा।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी